मुगल आर्किटेक्चर या कॉपी पेस्ट स्ट्रक्चर ?
भारत में हजारों की तादात में हमें इतिहास से जुड़ी हुई ईमारतें और मंदिर मिल जायेंगे जिनका इतिहास इस बात की गवाही देता है की सबसे पुरानी और सबसे अच्छी सभ्यता हमारी ही थी। मोहनजोदड़ो हो या हड़प्पा, मिस्र हो या चीन, भारत और सनातन की छाप हर जगह की पौराणिक वस्तुओं में देखने को मिलती है और ऐसा मैं नहीं कह रहा हूं यह बात तमाम देशों के इतिहासकार कह रहे हैं।
बात करें अगर मुगलों द्वारा बनाए गए ढांचों की तो एक बात पर गौर करना चाहिए की ढांचा भले ही किसी भी मुगल शासक ने बनवाया हो लेकिन तहखानों में मंदिर/मूर्तियां या सनातनी नक्काशी जरूर करवाते थे। या फिर यूं कहूं की मुगल भारत आ कर हिंदू शासकों द्वारा बनवाए गए ढांचों को तोड़ कर उनपर गुम्बद का निर्माण करवाते थे और उन ढांचों को बनवाने का श्रेय अपने नाम करवा लेते थे।
उदाहरण के तौर पर अगर विश्व प्रसिद्ध ताज महल को लिया जाए तो आपको बता दूं की ताज महल के वास्तुकार का नाम उस्ताद अहमद लाहौरी था जिनका जन्म आज के पाकिस्तानी पंजाब में हुआ था लेकिन तब पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान जैसे कई सारे देश भारत का हिस्सा हुआ करते थे। ताज महल को बनाने में जिन मजदूरों ने काम किया वह सभी भारतीय थे और जिस धन का इस्तेमाल ताज महल की बनाने में किया गया वह भी हमारे ही मंदिरों और राजसी खजानों से ही लूटा हुआ धन था। यह बात बताने के पीछे का कारण है वह लोग जो मुगलों द्वारा बनाए गए ढांचों पर बहुत गुमान करते हैं और भारत देश में रहने के बावजूद पाकिस्तान जैसे मौकापरस्त और आतंक को बढ़ावा देने वाले देशों के गाने गाते हैं। रही बात इन नमक हराम लोगों के महान मुगल शासकों की तो शाह जहां से बड़ा शासक भला कौन ही होगा जिसने अपनी बेगम के गुजर जाने के बाद अपनी ही बेटी से निकाह कर लिया था अगर इसके बाद भी ताज महल को प्रेम का प्रतीक माना जाता है तो मुझे प्रेम का विरोधी कहलाने में कोई हर्ज नहीं है।
मुगल आर्किटेक्चर को अपने देश की धरोहर मानते हुए उन 40000 मंदिरों का भी स्मरण कीजिए जिनको तुड़वाने का फतवा मुगल शासक औरंगजेब ने जारी किया था, उन 46 लाख हिंदुओं को भी स्मरण कीजिएगा जिनको औरंगजेब ने मौत के घाट उतार दिया था, उन 400000 मालाबार के हिंदुओं को भी स्मरण कीजिएगा जिनका जबरन धर्म परिवर्तन टीपू सुलतान ने करवाया था।
हर मुगल आर्किटेक्चर के निर्माण के पीछे जो हिंदुस्तान की संस्कृति का खनन हुआ है उसे समझना बहुत जरूरी है अन्यथा जो वास्तविक धरोहर हमारे पास बची है वो भी नष्ट हो जाएगी।
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